बीजिंग: चीन की नौसेना में तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल हो गया है। इसका नाम फुजियान है और अब ये आधिकारिक तौर पर सर्विस में आ गया है। डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एयरक्राफ्ट कैरियर, दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना (चीन) को अपने जलक्षेत्र से परे बीजिंग के प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में मदद करेगा। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को दक्षिणी हैनान प्रांत के सान्या शहर में निरीक्षण दौरे के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान पर सवार हुए। चीन का मकसद कम से कम 11 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना है और इसके पीछे का मकसद क्या हो सकता है, ये कहने की जरूरत नहीं है।
फुजियान, चीन का सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये वही टेक्नोलॉजी है,जो अमेरिकी नौसेना के लेटेस्ट एयरक्राफ्ट कैरियर USS Gerald R. Ford में इस्तेमाल की गई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, फुजियान अपने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट और सपाट उड़ान डेक के साथ तीन अलग-अलग प्रकार के विमान लॉन्च कर सकता है। आपको बता दें कि चीन ने इसी साल अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-35A मरीन को भी एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए लॉन्च कर चुका है। यानि, चीन की नौसेना अब काफी शक्तिशाली हो चुकी है।
चीन की नौसेना में शामिल हुआ तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर
चीन ने फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर को स्वदेश में ही बनाया है और यह पोत, भारी हथियारों और ईंधन से लदे विमानों को ले जा सकता है ताकि वे दुश्मन के ठिकानों पर ज्यादा दूरी से हमला कर सकें। चीन के पास पहले से दो एयरक्राफ्ट कैरियर लियाओनिंग और शांदोंग हैं, जिन्हें रूस ने बनाया है, लेकिन ये तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान, उन दोनों के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली और एडवांस है। चीन की सरकारी मीडिया ने फुजियान को चीन की नौसेना के विकास में एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" बताया है। अब अमेरिका दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास फुजियान जैसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट प्रणाली वाला एयरक्राफ्ट कैरियर है।
फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर उस वक्त सर्विस में आया है, जब चीन-ताइवान तनाव लगातार बढ़ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कैरियर, चीन को ताइवान, जापान और दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों में दबाव बढ़ाने का नया साधन देगा। ताइवान के रक्षा मंत्रालय से जुड़े रिसर्चर जियांग हसिन-बियाओ का कहना है कि "भविष्य में चीन अपने कैरियर ग्रुप्स, जिनमें युद्धपोत, पनडुब्बियां और सपोर्ट शिप्स शामिल हैं, उन्हें पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तैनात कर सकता है, जिससे ताइवान को चारों ओर से घेरने की रणनीति संभव हो जाएगी।” हालांकि एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि ताइवान पर किसी शुरुआती सैन्य कार्रवाई में कैरियर की भूमिका सीमित रहेगी क्योंकि द्वीप चीन के तट से बहुत करीब है।
एशिया में बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन
फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर के ट्रायल्स के दौरान चीन ने अपने नए J-35 स्टेल्थ फाइटर, KJ-600 अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट और J-15 के एडवांस वैरिएंट का परीक्षण किया था। इन विमानों की तैनाती से चीन को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमला करने की क्षमता मिलेगी। अमेरिका के डिफेंस एक्सपर्ट ग्रेग पोलिंग ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा है कि "एयरक्राफ्ट कैरियर्स चीन की उस महत्वाकांक्षा के प्रतीक हैं जिसमें वह खुद को एक महान शक्ति के रूप में देखना चाहता है, जो केवल अपने तटों की रक्षा नहीं बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक में प्रभाव दिखा सके।"
भारत की बात करें तो भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य हैं। भारतीय नौसेना लंबे वक्त से तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग करती रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया है। पिछले दिनों नवभारत टाइम्स बात करते हुए रिटायर्ड वायस एडमिरल प्रदीप चौहान, जो नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन के डायरेक्टर जनरल हैं, उन्होंने कहा था कि "भारत को सिर्फ तीन नहीं, बल्कि कम से कम पांच एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत हैं, क्योंकि अब हमारी जरूरतें बदल गई हैं।" उन्होंने कहा था कि "अगर चीन का लक्ष्य 10 से ज्यादा एयरक्राफ्ट बनाना है तो वो पागल नहीं है, उसके कुछ लक्ष्य हैं, ऐसे में हम पीछे नहीं रह सकते हैं और निश्चित तौर पर हमें नये संसाधनों की जरूरत है।"
फुजियान, चीन का सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये वही टेक्नोलॉजी है,जो अमेरिकी नौसेना के लेटेस्ट एयरक्राफ्ट कैरियर USS Gerald R. Ford में इस्तेमाल की गई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, फुजियान अपने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट और सपाट उड़ान डेक के साथ तीन अलग-अलग प्रकार के विमान लॉन्च कर सकता है। आपको बता दें कि चीन ने इसी साल अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-35A मरीन को भी एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए लॉन्च कर चुका है। यानि, चीन की नौसेना अब काफी शक्तिशाली हो चुकी है।
चीन की नौसेना में शामिल हुआ तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर
चीन ने फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर को स्वदेश में ही बनाया है और यह पोत, भारी हथियारों और ईंधन से लदे विमानों को ले जा सकता है ताकि वे दुश्मन के ठिकानों पर ज्यादा दूरी से हमला कर सकें। चीन के पास पहले से दो एयरक्राफ्ट कैरियर लियाओनिंग और शांदोंग हैं, जिन्हें रूस ने बनाया है, लेकिन ये तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान, उन दोनों के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली और एडवांस है। चीन की सरकारी मीडिया ने फुजियान को चीन की नौसेना के विकास में एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" बताया है। अब अमेरिका दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास फुजियान जैसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट प्रणाली वाला एयरक्राफ्ट कैरियर है।
फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर उस वक्त सर्विस में आया है, जब चीन-ताइवान तनाव लगातार बढ़ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कैरियर, चीन को ताइवान, जापान और दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों में दबाव बढ़ाने का नया साधन देगा। ताइवान के रक्षा मंत्रालय से जुड़े रिसर्चर जियांग हसिन-बियाओ का कहना है कि "भविष्य में चीन अपने कैरियर ग्रुप्स, जिनमें युद्धपोत, पनडुब्बियां और सपोर्ट शिप्स शामिल हैं, उन्हें पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तैनात कर सकता है, जिससे ताइवान को चारों ओर से घेरने की रणनीति संभव हो जाएगी।” हालांकि एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि ताइवान पर किसी शुरुआती सैन्य कार्रवाई में कैरियर की भूमिका सीमित रहेगी क्योंकि द्वीप चीन के तट से बहुत करीब है।
एशिया में बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन
फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर के ट्रायल्स के दौरान चीन ने अपने नए J-35 स्टेल्थ फाइटर, KJ-600 अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट और J-15 के एडवांस वैरिएंट का परीक्षण किया था। इन विमानों की तैनाती से चीन को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमला करने की क्षमता मिलेगी। अमेरिका के डिफेंस एक्सपर्ट ग्रेग पोलिंग ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा है कि "एयरक्राफ्ट कैरियर्स चीन की उस महत्वाकांक्षा के प्रतीक हैं जिसमें वह खुद को एक महान शक्ति के रूप में देखना चाहता है, जो केवल अपने तटों की रक्षा नहीं बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक में प्रभाव दिखा सके।"
भारत की बात करें तो भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य हैं। भारतीय नौसेना लंबे वक्त से तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग करती रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया है। पिछले दिनों नवभारत टाइम्स बात करते हुए रिटायर्ड वायस एडमिरल प्रदीप चौहान, जो नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन के डायरेक्टर जनरल हैं, उन्होंने कहा था कि "भारत को सिर्फ तीन नहीं, बल्कि कम से कम पांच एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत हैं, क्योंकि अब हमारी जरूरतें बदल गई हैं।" उन्होंने कहा था कि "अगर चीन का लक्ष्य 10 से ज्यादा एयरक्राफ्ट बनाना है तो वो पागल नहीं है, उसके कुछ लक्ष्य हैं, ऐसे में हम पीछे नहीं रह सकते हैं और निश्चित तौर पर हमें नये संसाधनों की जरूरत है।"
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