निकोसिया: भूमध्य सागर में स्थित द्वीपीय देश साइप्रस को इजरायल से ऐसा हथियार मिला है, जिससे तुर्की की टेंशन बढ़ सकती है। इजरायल ने साइप्रस प्रशासन को बराक एमएक्स (Barak MX) वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी की है। भारत के पास भी यह इजरायली एयर डिफेंस है। साइप्रस मीडिया ने बताया कि इजरायल निर्मित यह हवाई रक्षा कवच लिमासोल बंदरगाह पर पहुंच गया है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी सैन्य गाड़ियों को कड़ी सुरक्षा के बीच बंदरगाह से रवाना होते हुए दिखाया गया है, जो कथित तौर पर देश के अंदर इन प्रणालियों को पहुंचा रही हैं।
रूस के S-300 से भी खतरनाक
साइप्रस को इजरायली मिसाइल डिफेंस की डिलीवरी ने तुर्की की नींद उड़ा दी है। तुर्की के रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि बराक एमएक्स प्रणाली रूस के S-300 मिसाइल डिफेंस से कही ज्यादा खतरनाक है। साइप्रस ने एस-300 प्रणाली को 1997 में रूस से मंगवाया था, लेकिन तुर्की ने भारी सैन्य और कूटनीतिक दबाव डालकर इसे पहुंचने से रोक दिया था। लेकिन अब इजरायल ने उसे एस-300 से भी खतरनाक हथियार मुहैया कर दिया है।
इजरायल को क्षेत्र में बड़ी बढ़त
इस प्रणाली में AESA तकनीक से लैस 3D MMR रेडार लगा है, जो इजरायल को पूर्वी भूमध्य सागर में महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता उपलब्ध कराता है। तुर्की के रक्षा विश्लेषकों ने इसे इजरायल की बड़ी जीत बताया है। तुर्की टुडे ने एक विश्लेषक के हवाले से बताया कि भूमध्य सागर को पार करना इजरायल का एक चतुराई भरा कदम है। वे शांतिकाल में भी हमारे विमानों को परेशान करेंगे। एक अन्य विश्लेषक ने कहा, सौभाग्य से बेस्पार्मक पर्वत कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन यह प्रणाली फिर भी रेडार डेटा और ऑपरेशन खुफिया जानकारी इकठ्ठा करेगी।
बराक एमएक्स की खासियत
बराक एमएक्स लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, यूएवी, क्रूज मिसाइलों और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों समेत एक साथ कई खतरों का सामना करने में सक्षम है। तुर्की से तनाव के चलते साइप्रस लंबे समय से शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली हासिल करने की कोशिश कर रहा था। साइप्रस के रक्षा मंत्री ने दिसम्बर 2024 में कहा था कि पूर्वी भूमध्य सागर में बदलते भू-रणनीतिक संतुलन के कारण वायु रक्षा को मजबूत करना अनिवार्य है। उन्होंने पाफोस स्थित एंड्रियास पापांड्रेउ एयरबेस और मारी स्थित इवेंजेलोस फ्लोराकिस नौसेना अड्डे पर इन प्रणालियों को तैनात करने की योजना की घोषणा की थी।
पीएम मोदी ने किया था साइप्रस का दौरा
पीएम मोदी ने इसी साल जून में साइप्रस का दौरा किया था, जहां से उन्होंने तुर्की को सीधा संदेश दिया था। इस दौरान पीएम मोदी साइप्रस को विभाजित करने वाली ग्रीन लाइन पर भी गए थे। यह जगह साइप्रस गणराज्य और द्वीप पर तुर्की के कब्जे वाले क्षेत्र को बांटती है। ग्रीन लाइन के दौरे को तुर्की के लिए भारत के स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा गया था। खासतौर पर जब तुर्की के राष्ट्रपति भारत के कश्मीर में पाकिस्तान के कब्जे और आतंकवादियों को फंडिंग का समर्थन करते हैं।
रूस के S-300 से भी खतरनाक
साइप्रस को इजरायली मिसाइल डिफेंस की डिलीवरी ने तुर्की की नींद उड़ा दी है। तुर्की के रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि बराक एमएक्स प्रणाली रूस के S-300 मिसाइल डिफेंस से कही ज्यादा खतरनाक है। साइप्रस ने एस-300 प्रणाली को 1997 में रूस से मंगवाया था, लेकिन तुर्की ने भारी सैन्य और कूटनीतिक दबाव डालकर इसे पहुंचने से रोक दिया था। लेकिन अब इजरायल ने उसे एस-300 से भी खतरनाक हथियार मुहैया कर दिया है।
इजरायल को क्षेत्र में बड़ी बढ़त
इस प्रणाली में AESA तकनीक से लैस 3D MMR रेडार लगा है, जो इजरायल को पूर्वी भूमध्य सागर में महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता उपलब्ध कराता है। तुर्की के रक्षा विश्लेषकों ने इसे इजरायल की बड़ी जीत बताया है। तुर्की टुडे ने एक विश्लेषक के हवाले से बताया कि भूमध्य सागर को पार करना इजरायल का एक चतुराई भरा कदम है। वे शांतिकाल में भी हमारे विमानों को परेशान करेंगे। एक अन्य विश्लेषक ने कहा, सौभाग्य से बेस्पार्मक पर्वत कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन यह प्रणाली फिर भी रेडार डेटा और ऑपरेशन खुफिया जानकारी इकठ्ठा करेगी।
बराक एमएक्स की खासियत
बराक एमएक्स लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, यूएवी, क्रूज मिसाइलों और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों समेत एक साथ कई खतरों का सामना करने में सक्षम है। तुर्की से तनाव के चलते साइप्रस लंबे समय से शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली हासिल करने की कोशिश कर रहा था। साइप्रस के रक्षा मंत्री ने दिसम्बर 2024 में कहा था कि पूर्वी भूमध्य सागर में बदलते भू-रणनीतिक संतुलन के कारण वायु रक्षा को मजबूत करना अनिवार्य है। उन्होंने पाफोस स्थित एंड्रियास पापांड्रेउ एयरबेस और मारी स्थित इवेंजेलोस फ्लोराकिस नौसेना अड्डे पर इन प्रणालियों को तैनात करने की योजना की घोषणा की थी।
पीएम मोदी ने किया था साइप्रस का दौरा
पीएम मोदी ने इसी साल जून में साइप्रस का दौरा किया था, जहां से उन्होंने तुर्की को सीधा संदेश दिया था। इस दौरान पीएम मोदी साइप्रस को विभाजित करने वाली ग्रीन लाइन पर भी गए थे। यह जगह साइप्रस गणराज्य और द्वीप पर तुर्की के कब्जे वाले क्षेत्र को बांटती है। ग्रीन लाइन के दौरे को तुर्की के लिए भारत के स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा गया था। खासतौर पर जब तुर्की के राष्ट्रपति भारत के कश्मीर में पाकिस्तान के कब्जे और आतंकवादियों को फंडिंग का समर्थन करते हैं।
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