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अफगान तालिबान को मान्यता देने वाला दूसरा देश बनेगा पाकिस्तान? जानें क्या है शहबाज सरकार का रुख

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इस्लामाबाद: रूस ने 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए तालिबान को मान्यता दे दी है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला रूस दुनिया का पहला देश बना है। रूस के इस अहम फैसले के बाद पूछा जा रहा है कि क्या अफगानिस्तान का पड़ोसी पाकिस्तान भी तालिबान सरकार को मान्यता देगा। इस पर पाक सरकार ने अपना रुख साफ किया है। पाकिस्तान की सरकार का फिलहाल अफगान तालिबान सरकार को मान्यता देने का कोई इरादा नहीं है।



पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तान की शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार अफगान तालिबान सरकार को मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं कर रही है। इस संबंध में कोई भी फैसला देश के हित को ध्यान में रखकर किया जाएगा। फिलहाल इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाने का फैसला पाकिस्तान ने नहीं लिया है।





रूस के फैसले से हैरत नहीं: पाकपाकिस्तान के अधिकारियों ने 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' को बताया कि रूस का तालिबान को मान्यता देने का फैसला आश्चर्यजनक नहीं है। मॉस्को ने कुछ समय पहले इसका संकेत दे दिया था। रूस ने कहा था कि वे इस तथ्य के साथ सामंजस्य स्थापित करेंगे कि तालिबान के पास अफगानिस्तान की सत्ता है। ऐसे में रूस ने अपना फैसला लिया है और पाकिस्तान अपने हिसाब से अपना निर्णय लेगी।



पाकिस्तान ने तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता देने का संकेत नहीं दिया है लेकिन राजनयिक संबंध बेहतर करने पर सहमति व्यक्त की है। खासतौर से चीन की कोशिशों के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध सुधर रहे हैं। पिछले महीने बीजिंग में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद इस्लामाबाद और काबुल ने अपने राजनयिक संबंधों को बेहतर किया है।



चार साल से सत्ता में है तालिबानअफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद अगस्त, 2021 में तालिबान ने काबुल को अपने नियंत्रण में ले लिया था। बीते करीब चार साल से तालिबान शासन चला रहा है। इतने लंबे समय में सिर्फ रूस ने तालिबान सरकार को मान्यता दी है। हालांकि चीन, पाकिस्तान, भारत समेत कई देशों ने तालिबान से संपर्क बढ़ाया है लेकिन उनकी सरकार तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है।



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अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के कई देश तालिबान को मान्यता देने से इनकार करते हैं। इनका कहना है कि तालिबान सरकार में महिला अधिकारों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इन देशों ने तालिबान शासन में मानवाधिकार हनन का मामला बार-बार उठाया है और सरकार को मान्यता देने से इनकार किया है।

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