क्या आप दिन भर थका हुआ और कमज़ोर महसूस करते हैं? यह शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। लेकिन अगर इसके साथ ही आपके पैरों में सूजन आ रही है और पेशाब का रंग भी बदल रहा है, तो इन लक्षणों को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। यह किडनी फेलियर या किडनी से जुड़ी बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। ICMR की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 2 लाख से ज़्यादा लोग किडनी से जुड़ी बीमारियों के कारण मरते हैं। इसलिए, किडनी की सेहत की अनदेखी आपको मुश्किल में डाल सकती है।इस बारे में बात करते हुए नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. संजीव सक्सेना ने कहा, “किडनी की बीमारियाँ दो तरह की होती हैं। एक एक्यूट किडनी डिजीज और दूसरी क्रॉनिक किडनी डिजीज। अब दोनों के बीच का अंतर जानते हैं। एक्यूट किडनी डिजीज अचानक होने वाली किडनी फेल्योर है जो शारीरिक चोट या किसी संक्रमण के कारण हो सकती है। यह कुछ घंटों या दिनों में विकसित होती है। उचित इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है। वहीं, क्रॉनिक किडनी डिजीज एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसमें किडनी लंबे समय तक अपना काम करना कम कर देती है। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के मरीजों में क्रॉनिक किडनी डिजीज होने का खतरा रहता है।”मूत्र में गुर्दे की विफलता के लक्षणकई बार किडनी फेल्योर के लक्षण इतने सामान्य लगते हैं कि लोग उन पर ध्यान ही नहीं देते। शुरुआत में किडनी फेल्योर के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन अगर आपके पेशाब करने के तरीके में बदलाव हो, पेशाब का रंग बदल जाए या पेशाब में खून आए, तो यह किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है।गुर्दे की विफलता के लक्षणकिडनी फेल होने के लक्षणों में शरीर में बहुत ज़्यादा थकान और कमज़ोरी महसूस होना शामिल है। ऐसे लोगों के पैरों में सूजन बढ़ जाती है। पेशाब में भी बदलाव दिखाई देते हैं। अगर ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।अपने गुर्दों को स्वस्थ कैसे रखें?अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सभी के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना ज़रूरी है। आपको नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, कम नमक, कम चीनी और भरपूर पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर की नियमित जाँच ज़रूरी है, क्योंकि इनसे किडनी रोग का खतरा बढ़ जाता है।गुर्दों के लिए बुरी आदतें क्या हैं?जीवनशैली में बदलाव के अलावा, किडनी को सुरक्षित रखने के कई तरीके हैं। ऐसा करने का सबसे कारगर तरीका धूम्रपान छोड़ना है। धूम्रपान न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि किडनी की कार्यप्रणाली पर भी असर डालता है। अत्यधिक शराब के सेवन से बचना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप और अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। ज़्यादा नमक और चीनी का सेवन किडनी के लिए अच्छा नहीं है ।
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