त्योहार का दिन था... दुर्गा माँ की विदाई हो रही थी... चारों तरफ ढोल-ताशे बज रहे थे और‘अगले बरस तू जल्दी आ’के जयकारे लग रहे थे। लेकिन किसी को क्या पता था कि खुशियों और भक्ति का यह सफर,मातम की एक गहरी खाई में खत्म होने वाला है।मध्य प्रदेश में दुर्गा विसर्जन के दौरान एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ,जिसने हर किसी की रूह कंपा दी है। मूर्ति विसर्जन के लिए लोग पानी से भरे एक गहरे गड्ढे के पास इकट्ठा थे। उत्साह और भक्ति का माहौल था,लेकिन अचानक पैर फिसलने या मिट्टी धंसने से कुछ लोग पानी में जा गिरे। उन्हें बचाने के लिए दूसरे लोग कूदे,और देखते ही देखते यह बचाव अभियान एक सामूहिक समाधि में बदल गया।पल भर में बुझ गए13घरों के चिराग, 10तो मासूम बच्चे थेइस दिल दहला देने वाले हादसे में13लोगों की जान चली गई। और सबसे दुखद,कलेजे को चीर देने वाली बात यह है कि मरने वालों में10मासूम बच्चेथे। पल भर में ही कितनी ही मांओं की गोद सूनी हो गई और कितने ही परिवारों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए।हादसे के बाद चारों तरफ सिर्फ चीख-पुकार और अफरा-तफरी मच गई। जो लोग कुछ देर पहले तक नाच-गा रहे थे,वो अब पानी के उस गड्ढे में अपने प्रियजनों को बदहवास होकर ढूंढ रहे थे। सूचना मिलते ही पुलिस और बचाव दल मौके पर पहुंचा और शवों को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ।यह त्योहार मातम में बदल गया। यह घटना एक कड़वी और दर्दनाक याद दिलाती है कि उत्सव और उल्लास के जोश में हमें हमेशा सावधानी और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए,वरना खुशियों को मातम में बदलने में एक पल भी नहीं लगता।
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