News India Live, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है और राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी गोटियां सजानी शुरू कर दी हैं। इसी बीच, एनडीए के अहम सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने बिहार की राजनीति में भावनात्मक लहर पैदा कर दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि यह चुनाव उनके लिए सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अपने पिता, स्वर्गीय रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करने का एक मिशन है।क्या है पिता का वो सपना?चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने पिता के दिए हुए नारे "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" को दोहराया है। उन्होंने कहा, "मेरे पिता का बस एक ही सपना था- एक ऐसा बिहार बनाना जहाँ किसी भी बिहारी को मज़बूरी में अपना घर-परिवार छोड़कर दूसरे राज्य न जाना पड़े। उनका सपना था कि बिहार के युवाओं को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य और अच्छा रोज़गार अपने ही प्रदेश में मिले।"यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि रामविलास पासवान की वो सोच थी जिसे वे हमेशा बिहार के लिए साकार करना चाहते थे। चिराग पासवान अब उसी सोच को अपनी राजनीति का केंद्र बना रहे हैं। उनका कहना है कि वे एनडीए गठबंधन में रहकर, सरकार के साथ मिलकर अपने पिता के इसी विजन को ज़मीन पर उतारने का काम करेंगे।विरासत को बनाया अपनी ताकतचिराग ने भावुक होते हुए कहा, "मैं अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूँ। उनका हर अधूरा सपना अब मेरा लक्ष्य है। हम एक ऐसा विकसित और आत्मनिर्भर बिहार बनाएंगे, जिसका सपना पापा ने अपनी आंखों में संजोया था।"चिराग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चाएं शुरू होने वाली हैं। अपने पिता के नाम और उनके काम को आगे रखकर चिराग पासवान न सिर्फ भावनात्मक रूप से लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि गठबंधन में भी अपनी पार्टी की मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पिता की विरासत का यह भावनात्मक कार्ड, चुनाव में चिराग के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।
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