इस्लामाबाद। पाकिस्तान एक तरफ भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचता है और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट यानी आईसीजे के आदेश का पालन तक नहीं करता। पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नागरिक और नौसेना के पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव को अपने यहां की ऊंची अदालत में अपील का अधिकार नहीं दिया। जबकि, आईसीजे ने पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया था कि कुलभूषण जाधव को भारतीय राजनयिक से मुलाकात और कानूनी मदद लेने का अधिकार है। पाकिस्तान सरकार के वकील ने खुद अपने देश के सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को माना है कि कुलभूषण जाधव को आईसीजे के निर्देशों के तहत ऊंची अदालत में अपील करने नहीं दिया गया है।
शहबाज सरकार के वकील ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में माना कि उनकी सरकार ने वियना संधि का उल्लंघन किया है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में उन पाकिस्तानी नागरिकों के मामलों की सुनवाई हो रही थी, जिनको 9 मई 2023 को पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद दंगों के आरोप में पाकिस्तान की सैनिक अदालतों ने दोषी ठहराया था। इस सुनवाई के दौरान पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या कुलभूषण जाधव को भी यही सुविधा दी गई और अगर हां, तो पाकिस्तानी नागरिकों को ऊंची अदालत में सुनवाई का हक क्यों नहीं दिया जा रहा है? इस पर पाकिस्तान सरकार के वकील ने माना कि वियना संधि के अनुच्छेद 36 का पाकिस्तान सरकार ने पालन नहीं किया गया है। जिसके तहत कुलभूषण जाधव को भारत के दूतावास से संपर्क, राजनयिक से मुलाकात और सभी कानूनी मदद लेने का हक मिलना चाहिए। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट को सरकारी वकील ने बताया कि कुलभूषण जाधव के बारे में आईसीजे के आदेश के बाद वियना संधि के अनुरूप कानून में बदलाव किया गया। ताकि सैनिक अदालत के आदेश की समीक्षा की जा सके।

कुलभूषण जाधव के बारे में पाकिस्तान की सरकार का दावा है कि उनको मार्च 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया। पाकिस्तान का ये भी दावा है कि कुलभूषण जाधव रॉ के एजेंट हैं और बलूच विद्रोहियों के साथ काम कर रहे थे। जबकि, भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर हैं और कारोबार के सिलसिले में ईरान गए थे। जहां से उनको अगवा कर पाकिस्तान लाकर बलूचिस्तान से गिरफ्तारी दिखाई गई।
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