हिंदू पंचांग के अनुसार, वरुथिनी एकादशी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसे “व्रत की एकादशी” भी कहा जाता है, क्योंकि इसे बहुत शुभ माना जाता है और इस दिन व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी का विशेष महत्व भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ा है। “वरुथिनी” का अर्थ है “रक्षक”, और यह एकादशी भक्तों को सभी प्रकार के संकटों, दोषों और पापों से बचाती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी दान, संयम, ब्रह्मचर्य और भक्ति के लिए विशेष रूप से उपयुक्त मानी जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत भक्तों के लिए भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
वरुथिनी एकादशी कब मनाई जाएगी?
पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि बुधवार, 23 अप्रैल को शाम 4:43 बजे शुरू होगी और गुरुवार, 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल, गुरुवार को रखा जाएगा।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
उपवास की पहली रात को पौष्टिक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। धूप, दीप, फूल, तुलसी के पत्ते, फल आदि चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं और भजन करते हैं। बारहवें दिन अपना व्रत तोड़ें, ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें।
वरुथिनी एकादशी का महत्व
वरुथिनी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता के अनुसार, यह व्रत रखने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है और मोक्ष दिलाता है। इस व्रत को करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से दस हजार वर्षों की तपस्या के समान फल मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन दान देने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है, गौ दान, अन्न दान और कन्या दान जैसे दान का विशेष महत्व है।
वरुथिनी एकादशी पर विशेष उपाय भगवान विष्णु को स्नान कैसे कराएं
यदि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को शंख से स्नान कराया जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को मनचाहा वरदान देते हैं। क्योंकि भगवान विष्णु को शंख बहुत प्रिय है।
प्रसाद में क्या शामिल करेंधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को जब कोई भोग लगाया जाता है तो उसमें तुलसी के पत्ते शामिल करना जरूरी होता है। क्योंकि भगवान विष्णु तुलसी के पत्तों के बिना प्रसाद स्वीकार नहीं करते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित किए जाने वाले भोजन में तुलसी के पत्ते डालने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। लेकिन एक बात याद रखें, एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
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