इंटरनेट डेस्क। रथ यात्रा का हर किसी को इंतजार होता हैं और जैसे जैसे ये दिन पास आता हैं हर कोई भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए तैयार रहता है। 27 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी। रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर पुरी नगर से गुजरते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंचती है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलरामजी और बहन सुभद्रा सात दिन विश्राम करते हैं। बता दें कि गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है।
क्या हैं पौराणिक मान्यताएं
बता दें कि पौराणिक मान्यताओं अनुसार, देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं का निर्माण किया था। आषाढ़ मास के दसवें दिन सभी रथ फिर से मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। हर साल रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक प्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ते हैं। भक्तों के लिए मंदिर के कपाट एक पखवाड़े तक बंद कर दिए जाते हैं। जिसे मंदिर की भाषा में अनासार कहा जाता है।
तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते है
जानकारी के अनुसार पुरी में रथयात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम व बहन सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं। सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ रहता है। सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में देवी सुभद्रा का रथ होता है। सभी रथ नीम की लकड़ियों से तैयार किए जाते हैं। जिसे दारु कहते हैं। इसके लिए जगन्नाथ मंदिर में एक खास समिति का निर्माण किया जाता है।
pc- herzindagi.com
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