श्रावण मास की तैयारियों के बीच भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में अब होटल और रेस्टोरेंट के नामों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। धार्मिक संगठनों और कई स्थानीय समूहों ने यह मांग तेज कर दी है कि होटल मालिकों के नेम प्लेट और बोर्ड हिंदी में लिखे जाएं, जिससे मालिक की असली पहचान साफ दिखाई दे।
क्या है विवाद?धार्मिक संगठनों का आरोप है कि:
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कई मुस्लिम होटल मालिकों ने अपने होटलों के नाम जान-बूझकर हिंदू प्रतीकों और देवी-देवताओं से प्रेरित रखे हैं, जैसे – "श्रीराम ढाबा", "महादेव रेस्टोरेंट", "माताजी फूड सेंटर" आदि।
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इससे श्रद्धालुओं को भ्रम होता है, और वह इन होटलों को हिंदू संचालित समझकर भोजन कर लेते हैं, जबकि उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ यह धोखा होता है।
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होटल और ढाबों के नेम प्लेट हिंदी में अनिवार्य रूप से लगवाने की मांग।
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मालिक के नाम और धर्म की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम और प्रशासन से दिशा-निर्देश जारी करने की अपील।
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श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ न हो, इसके लिए सख्त नियमों की आवश्यकता जताई गई।
इस विवाद पर स्थानीय होटल व्यवसायी संघ का कहना है कि:
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“यह मुद्दा धार्मिक भावना की आड़ में व्यापार पर हमला है। व्यवसाय का नाम रखना व्यक्ति की स्वतंत्रता है।”
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“यदि प्रशासन कोई स्पष्ट नियम बनाए तो उसका पालन किया जाएगा, लेकिन किसी एक धर्म विशेष को निशाना बनाना उचित नहीं है।”
फिलहाल उज्जैन नगर निगम और जिला प्रशासन ने इस पर कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार श्रावण मास की भीड़ को देखते हुए संभावित विवाद से बचने के लिए कुछ नियमों पर विचार किया जा रहा है।
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