क्रिकेट न्यूज़ डेस्क।। टेस्ट क्रिकेट में 4 दशक से भी ज़्यादा समय से यह नियम रहा है कि 80 ओवर के बाद नई गेंद मिलेगी, लेकिन इंग्लैंड की गेंद बनाने वाली कंपनी ड्यूक्स इसे घटाकर 60 ओवर करना चाहती है। भारत बनाम इंग्लैंड समेत 2 टेस्ट सीरीज़ में इस गेंद को लेकर सवाल उठ चुके हैं। शुभमन गिल ने भी इस पर बयान दिया था, जिसके बाद गेंद बनाने वाली कंपनी ने सुझाव दिया है कि 60 ओवर के बाद नई गेंद पर विचार किया जाना चाहिए।
भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ के पहले 2 मैच हाई-स्कोरिंग रहे। दूसरे टेस्ट में शुभमन गिल ने 430 (269, 161) रनों की ऐतिहासिक पारी खेली, जिसकी मदद से भारत ने इंग्लैंड को 336 रनों के बड़े अंतर से हराया। जीत के बावजूद कप्तान शुभमन गिल ने ड्यूक्स गेंद पर निराशा जताई। हिंदुस्तान टाइम्स ने गिल के हवाले से कहा, "पिच से ज़्यादा, गेंद नरम होती जा रही है और तेज़ी से क्षतिग्रस्त हो रही है। अगर गेंदबाज़ को पता हो कि उसे सिर्फ़ 20 ओवर तक ही मदद मिलेगी और फिर उसे रक्षात्मक गेंदबाज़ी करनी है, सिर्फ़ रन रोकने के बारे में सोचना है, तो खेल का कोई मतलब नहीं रह जाता।"
ड्यूक्स बॉल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने क्या कहा
ड्यूक्स फ़ैक्टरी के मालिक दिलीप जजोदिया ने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा, "गेंद की आलोचना करना अब एक फैशन बन गया है। गेंदबाज़ों और कप्तानों ने यह आदत बना ली है कि अगर उन्हें विकेट नहीं मिलता है, तो वे अंपायर पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।"
बता दें कि 1980 से यह नियम है कि 80 ओवर के बाद फ़ील्डिंग टीम के कप्तान के अनुरोध पर नई गेंद दी जाएगी। भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ में गेंद को लेकर कई शिकायतें आईं। ऋषभ पंत को भी आईसीसी ने गेंद न बदलने पर सज़ा दी थी। मैच के आखिरी दिन, 14वें ओवर में ही क्षेत्ररक्षकों ने गेंद बदलने की माँग की, इसके बाद कई अपीलें हुईं और आखिरकार 28वें ओवर में अंपायर ने गेंद बदल दी।
दूसरे टेस्ट में, बेन स्टोक्स ने सबसे पहले 16वें ओवर में ही गेंद बदलने की माँग की थी, उन्होंने अंपायर से गेंद के आकार में बदलाव की शिकायत की थी। चार प्रयासों के बाद, 56वें ओवर में गेंद बदली गई। वेस्टइंडीज बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ के दौरान, जोश हेज़लवुड ने भी गेंद को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि उन्होंने 70 ओवर पुरानी नरम गेंद से गेंदबाजी नहीं की थी।
गेंद के आकार के बिगड़ने का क्या कारण है?
ड्यूक्स गेंद बनाने वाली कंपनी का मानना है कि भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ में सपाट पिच के कारण गेंद का आकार बिगड़ गया। जजोदिया ने कहा, "ताकतवर खिलाड़ी गेंद को ज़ोर से मारते हैं, तेज़ शॉट मारने से गेंद स्टैंड्स में जा गिरती है और कई बार उसका आकार बिगड़ जाता है। कोई भी गेंदबाज़ों की फ़ॉर्म या सपाट पिचों की बात नहीं करता। ड्यूक गेंदों को गेंदबाज़ों के लिए मददगार माना जाता है, अब जब एक टेस्ट में 5 शतक लग रहे हैं, तो हर कोई गेंद को दोष दे रहा है। अगर कुछ ग़लत होता है, तो वह खिलाड़ी की नहीं, बल्कि पिच या गेंद की गलती है। जब कोई बल्लेबाज़ शून्य पर आउट होता है, तो गेंदबाज़ों को विकेट नहीं मिलते, यह गेंद की वजह से होता है।"
उन्होंने मांग की है कि 80 ओवरों की बजाय 60वें और 70वें ओवरों के बीच गेंद बदलने के नियम पर विचार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि 80वें ओवर तक गेंद का कड़ा रहना संभव नहीं है। हर गेंद मशीन से नहीं बनती, जो एक जैसी रहती है।
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