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स्थगन आदेश लेकर मजा करते हैं मुकदमेबाज : हाईकोर्ट

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–मुकदमों में बार-बार तारीख मांगने वालों पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी –मुकदमा टलवाने की प्रवृत्ति को बताया खतरनाक

प्रयागराज, 01 मई . मुकदमों में बार-बार तारीख लगवा कर सुनवाई टलवाने वाले वादकारियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि आम तौर पर मुकदमों में फैसले में देरी के लिए अदालतों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. मगर यह आश्चर्यजनक है कि देश के नागरिक जब वादकारी के रूप में अदालत में आते हैं तो मुकदमे में समय मांग कर अपने उद्देश्य के अनुसार उसका आनंद लेते हैं. कोर्ट ने कहा मुकदमों में देरी वादी जनता की वजह से होती है जो खतरनाक है. इस बारे में न तो बात की जाती है और न ही इसकी आलोचना होती है. कोर्ट ने कहा, इस प्रकार की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना जरूरी है.

आजमगढ़ के बुढ़नपुर तहसील के बिन्दुई गांव में तालाब पर कब्जे को लेकर शैलेन्द्र प्रजापति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. कब्जे को लेकर पहले से बेदखली का आदेश पारित है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बेदखली आदेश के अनुपालन पर तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी थी. जिस पर तहसीलदार ने सरकारी वकील के माध्यम से और समय दिए जाने की मांग की थी. जिस पर उपरोक्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने तहसीलदार को तीन दिन में रिपोर्ट देने या व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है.

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/ रामानंद पांडे

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