वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थना पत्र की पोषणीयता पर उठाया था सवाल
वाराणसी,08 जुलाई (Udaipur Kiran) । ज्ञानवापी के मूल वाद में तीन बहनों को पक्षकार बनाने की अर्जी को अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग को जिला जज जय प्रकाश तिवारी की अदालत ने खारिज कर दिया। सोमवार की शाम अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थना पत्र स्वीकार योग्य नहीं है। अधीनस्थ न्यायालय में दायर अर्जी पर सुनवाई चल रही है। वर्तमान में उनके अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र आधारहीन है। इसे सीआरपीसी की धारा-24 के तहत दाखिल करना चाहिए था। इस प्रार्थना पत्र के पोषणीयता पर वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सवाल उठाया था। वाद मित्र ने अदालत से इसे निरस्त करने की मांग की थी। पिछली सुनवाई पर दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जिला जज की अदालत ने आदेश के लिए सात जुलाई की तिथि मुकर्रर की थी।
बताते चलें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण, हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर सोमनाथ व्यास (अब दिवंगत), डा. रासरंग शर्मा, हरिहर पांडेय ने वर्ष 1991 में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे की सुनवाई वर्तमान में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में चल रही है।
वादी हरिहर पांडेय की मृत्यु के बाद उनकी तीनों पुत्रियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा व रेणु पांडेय ने पक्षकार बनाने के लिए इसी अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। तीनों बहनों की ओर से उनके अधिवक्ता ने दलील दी थी कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में लंबित प्रार्थना पत्र पर पक्ष रखने के लिए उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उक्त मुकदमे को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाए।
वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने इस प्रार्थना पत्र की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए निरस्त करने की मांग की थी। उनका कहना था कि उक्त मुकदमे में तीनों बहनें जब पक्षकार ही नहीं है तो उनकी ओर से किस आधार पर यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जिला जज ने प्रार्थना पत्र पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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