अगली ख़बर
Newszop

ऑनलाइन फॉर्म में की गई गलती को सुधारने का मौका दिया तो पंडोरा बॉक्स खुल जाएगा: हाईकोर्ट

Send Push

Prayagraj, 10 नवम्बर (Udaipur Kiran) . इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने Uttar Pradesh अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित इंस्ट्रक्टर भर्ती Examination से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की है कि यदि ऑनलाइन आवेदन फॉर्म में उम्मीदवार द्वारा की गई लापरवाही को बाद में सुधारने का अवसर दिया गया, तो इससे पंडोरा बॉक्स खुल जाएगा.

जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता रेखा पाल द्वारा दायर रिट याचिका को मेरिट रहित पाते हुए खारिज कर दिया.

यह मामला 2022 में इंस्ट्रक्टर के पद पर चयन से संबंधित था, जिसके लिए याचिका कर्ता ने आवेदन किया था. याचिकाकर्ता रेखा पाल के पास इंस्ट्रक्टर पद के लिए आवश्यक योग्यता, डिप्लोमा और नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट (एनटीसी) दोनों थी और प्रत्येक श्रेणी के लिए 50% आरक्षण निर्धारित था. हालांकि, याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन आवेदन जमा करते समय केवल कॉस्मेटोलॉजी में डिप्लोमा का विवरण दिया और एनटीसी का उल्लेख नहीं किया. याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन में कोई सुधार भी नहीं किया.

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि जब उन्होंने दस्तावेज़ जमा किए, तो एनटीसी की योग्यता भी जमा कर दी गई थी और उसका सत्यापन भी हुआ था. इसलिए उनकी उम्मीदवारी पर एनटीसी धारकों की श्रेणी में विचार किया जाना चाहिए था, जिसमें वह कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त कर रही थीं.

जवाब में, प्रतिवादियों के वकील ने विज्ञापन के संबंधित खंडों का हवाला देते हुए कहा कि उम्मीदवार का कर्तव्य था कि वह ऑनलाइन आवेदन में सही विवरण प्रस्तुत करे. क्योंकि अन्य दस्तावेजों का सत्यापन भी केवल ऑनलाइन आवेदन में दिए गए विवरणों के आधार पर ही किया जाता है. उन्होंने बताया कि याचिका कर्ता की उम्मीदवारी पर डिप्लोमा योग्यता के आधार पर विचार किया गया, जिसमें उसे कट-ऑफ अंकों से कम अंक मिले.

रिकॉर्ड्स और दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन फॉर्म जमा करते समय निश्चित रूप से लापरवाही की थी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केवल डिप्लोमा के आधार पर आवेदन करना चुना और उसी के अनुसार प्रतिस्पर्धा की. कोर्ट ने जोर दिया कि अगर इस तर्क को स्वीकार कर लिया जाता है कि एक लापरवाह उम्मीदवार भी, जो सही विवरण जमा करने और सुधार करने में विफल रहा, बाद में कोर्ट आ सकता है, तो इससे एक विस्तृत समस्या (पंडोरा बॉक्स) पैदा हो जाएगी.

कोर्ट ने कोऑर्डिनेट बेंच के एक पूर्व फैसले, आशुतोष कुमार श्रीवास्तव बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. के सिद्धांत का हवाला दिया, जो याचिकाकर्ता के दावे के विपरीत था. इन कारणों से, कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि एनटीसी के आधार पर उसकी नियुक्ति पर विचार किया जाए और रिट याचिका को खारिज कर दिया.

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें