रांची, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . बेडो आदिवासी समुदाय के बेड़ो स्थित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सरना स्थल की घेराबंदी करने और हाल के दिनों में कुरमी-कुड़मी महतो समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के खिलाफ बेड़ो बस्ती स्थित मैदान में बैठक हुई.
बैठक में कहा गया कि कुरमी समाज को यदि एसटी का दर्जा दिया गया, तो वास्तविक आदिवासियों के लिए आरक्षित संसाधन, नौकरियां और शैक्षणिक अवसर प्रभावित होंगे. इससे सामाजिक अन्याय और Assamानता बढ़ेगी.
बैठक में 12 पड़हा क्षेत्र के पारंपरिक राजा विशाल उरांव, दीवान डहरू उरांव, समाजसेवी चूमानी उरांव, आशा उरांव, संतोष उरांव, बिरसा उरांव, सुकल उरांव, सुखदेव उरांव, सोनी कच्छप, ज्योति उरांव, विवेक उरांव सहित दर्जनों अन्य सामाजिक कार्यकर्ता, युवा और बुद्धिजीवी शामिल थे. सभी ने आदिवासी एकता, पहचान और अधिकारों की रक्षा करने के लिए शपथ ली.
वहीं इसके पूर्व बैठक की शुरुआत बेड़ो सरना स्थल की सुरक्षा और घेराबंदी के मुद्दे से हुई. वक्ताओं ने कहा कि सरना स्थल केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की पहचान, उनकी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. यह स्थल अनगिनत पीढ़ियों से आदिवासी धर्म-संस्कारों, रीति-रिवाजों और पर्व-त्योहारों का केंद्र रहा है. समाजसेवी चूमानी उरांव ने कहा कि आज जब बाहरी ताकतें आदिवासी पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं, ऐसे समय में सरना स्थलों की रक्षा करना अनिवार्य हो गया है. इस दौरान निर्णय लिया गया कि सरना स्थल की घेराबंदी करने के लिए शीघ्र ही एक तिथि घोषित करते हुए जन सहयोग से धन-संग्रह और श्रमदान किया जाएगा.
मौके पर संतोष उरांव ने कुरमी समुदाय को एसटी की सूची में शामिल करने का विरोध करतेे हुए कहा कि ये जातियां परंपरागत रूप से आदिवासी नहीं रही हैं और न ही इनका कोई सामाजिक, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक संबंध आदिवासी समुदायों की जीवनशैली या रीति-नीति से रहा है.
बैठक में कई आदिवासी संगठन और समाज के सैकडों लोग मौजूद थे.
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
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