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बीबी के बकाया गुजारा भत्ता की वसूली व गिरफ्तारी वारंट का आदेश रद्द

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–कोर्ट ने कहा, कानूनी प्रक्रिया के विपरीत किया आदेश

प्रयागराज, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बकाया गुजारा भत्ता वसूली की कानूनी प्रक्रिया न अपनाकर परिवार अदालत द्वारा शौहर के खिलाफ जारी वसूली व गिरफ्तारी वारंट आदेश को रद्द कर दिया है और सी पी सी के उपबंधो के तहत विहित प्रक्रिया अपनाकर सिविल कोर्ट की धन डिक्री की तरह वसूली कार्रवाई करने की छूट दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस के पचौरी ने मसरूफ अली की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अजरा बेगम निवासी सुभाष नगर कस्बा थाना सौरिख जनपद कन्नौज ने अपने शौहर मसरूफ अली निवासी नवाबगंज कानपुर नगर के विरुद्ध धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत गुजारा भत्ता दिए जाने हेतु प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कन्नौज में वाद दाखिल किया था। जिसमें परिवार न्यायालय ने याची मसरूफ अली को दस हजार अपनी बीबी को बतौर गुजारा भत्ता व अपने 2 बच्चों को दो-दो हजार रुपये प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से दिए जाने का आदेश पारित किया था।

याची की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि विपक्षी बीबी ने झूठा शपथ पत्र देकर परिवार न्यायालय को गुमराह कर यह आदेश पारित कराया है। उसने अपने को घरेलू महिला जिसकी आमदनी का कोई श्रोत नहीं, कहकर आदेश पारित करा लिया जो की सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई गाइडलाइंस का भी उल्लंघन है। भत्ता दिए जाने के आदेश के विरुद्ध याची ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दाखिल कर रखा है। जिसमें विपक्षी को नोटिस भी जारी हुई है, लेकिन आज तक उसमें कोई जवाब दाखिल नहीं किया जो विचाराधीन है।

इसी दौरान बीबी अजरा बेगम ने वसूली प्रक्रिया हेतु वाद दाखिल किया। जिस पर परिवार न्यायालय ने भरण पोषण की धनराशि 7,06,000 की वसूली हेतु वसूली व गिरफ्तारी के आदेश एसपी, कन्नौज को जारी कर दिया। गिरफ्तारी व वसूली के आदेश को याची ने चुनौती दी।

कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के केस रजनीश बनाम नेहा में पारित आदेश में दी गई गाइडलाइंस के विरुद्ध परिवार न्यायालय ने बीबी को भत्ता न दिए जाने पर गिरफ्तारी का आदेश किया है। सिविल प्रक्रिया संहिता की प्रक्रिया का न पालन करते हुए गिरफ्तारी का आदेश पारित किया है। जो न्याय संगत नहीं है। नियमानुसार बकाया गुजारा भत्ता वसूली धारा 28ए हिंदू विवाह कानून, धारा 20(6) डी वी एक्ट, धारा 128 सीआरपीसी के तहत वसूली की जा सकती है। इसे सिविल कोर्ट आदेश की तरह मनी डिक्री माना जायेगा और सीपीसी की धारा 51, 55, 58, 60 व आदेश 21 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। न्यायालय ने सिविल प्रक्रिया के तहत रिकवरी की कार्यवाही करने का निर्देश देते हुए कानून के विरूद्ध गिरफ्तारी व रिकवरी का आदेश निरस्त कर दिया।

याची अधिवक्ता का कहना है कि बीबी वर्तमान समय मे एफ.एच. मेडिकल कालेज टूंडला (फिरोजाबाद) में सरकारी सेवा में कार्यरत है। झूठे बयान दिए जाने पर याची ने 340 सीआरपीसी की प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें बताया कि पत्नी सरकारी नौकरी में है, जिसको बिना निस्तारित किये परिवार न्यायालय ने विपक्षी पत्नी के भत्ते को दिए जाने का आदेश पारित किया है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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