प्रयागराज, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी तरीके से मकान के ध्वस्तीकरण पर मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आदेश कर चुका है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने प्रदेश सरकार की याचिका पर दिया। महराजगंज के पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के दो मंजिला पैतृक मकान व दुकानों को जिला प्रशासन ने 13 सितम्बर 2019 को बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया था। इसकी शिकायत पीड़ित ने राष्ट्रीय मानव आयोग से की थी। आयोग की टीम ने नवम्बर 2019 में जांच की थी। जांच में अफसरों को दोषी पाया गया। इसके बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि पीड़ित को पांच लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा दें।
जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग तथा पुलिस विभाग के सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुख्य सचिव कठोरतम विभागीय व दंडात्मक कार्रवाई करें, जिन्होंने शिकायतकर्ता के मकान को गिराया है। पीड़ित पत्रकार की एफआईआर दर्ज करें तथा इसकी विवेचना सीबीसीआईडी से कराएं। आयोग के आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। जिसे सुनवाई के बाद कोर्ट ने खारिज़ कर दिया।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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