उज्जैन, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के उज्जैन में अपराधिक प्रकरणों की जांच गुणवत्ता के साथ ही सुधार और तकनीकी दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से Saturday को पुलिस कंट्रोल रूम में उज्जैन रेंज के डीआईजी नवनीत भसीन ने एक बैठक ली. बठैक में 4 जिलों के जांच अधिकारी शामिल हुए थे. एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण में डीआईजी ने सभी पुलिस अधिकारियों को सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि हेलमेट जीवन रक्षक कवच है. उन्होंने सभी को हम दो, हमारे दो हेलमेट का नारा भी दिया.
Saturday को पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित उज्जैन रैंज की इस प्रशिक्षण में उजैन, देवास, शाजापुर और आगर मालवा जिलों के विभिन्न थानों में पदस्थ प्रधान आरक्षक से लेकर उप निरीक्षक स्तर तक के जांच अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में डीआईजी नवनीत भसीन सहित विशेषज्ञों द्वारा जांच अधिकारियों को अनुसंधान प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक तकनीकी प्रणालियों जैसे सीसीटीएनएस, आईटीएसएसओ, ई-रक्षक एप्प, ई-साक्ष्य एप्प, आईसीजेएस, एनएएफआईएस का प्रशिक्षण दिया. बैठक में डीआईजी ने सभी जांच अधिकारियों से कहा कि यदि ये चालक हेलमेट पहनते तो कई जिंदगियां बच सकती थीं. हेलमेट न केवल जीवन बचाने का साधन है बल्कि अनुशासन और जिम्मेदारी का प्रतीक भी है. प्रत्येक पुलिस अधिकारी को स्वयं उदाहरण बनकर जनता को नियमों के पालन के लिए प्रेरित करना चाहिए.
जांच पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया
बैठक में सायबर अपराधों की जांच, एनसीआरपी पोर्टल, सीईआईआर पोर्टल और 190 हेल्पलाइन के उपयोग की मानक प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी गई. साथ ही महिला संबंधी अपराधों के पंजीयन और अन्वेषण, बीएनएसएस की धाराओं के पालन, साक्ष्य संकलन की विधि और न्यायालयीन निर्णयों के विश्लेषण पर भी चर्चा हुई.
विशेषज्ञों ने दी जानकारी
एक दिवसीव प्रशिक्षण सत्र में एडीपीओ नितेश कृष्णन ने आपराधिक विधियों और अन्वेषण प्रक्रिया पर जानकारी दी. जबकि देवास जिले के प्रशिक्षकों ने तकनीकी एप्लिकेशनों के उपयोग की जानकारी दी. सायबर सेल प्रभारी उप निरीक्षक प्रतीक यादव ने सायबर अपराधों की जांच की प्रक्रिया का विस्तार से समझाया.
डीआईजी ने किया सतर्क
डीआईजी नवनीत भसीन ने सडक़ सुरक्षा को लेकर विशेष रूप से बताया कि वर्ष 2024 में मध्यप्रदेश में 56 हजार 669 सडक़ हादसे हुए, जिनमें 10 हजार 661 लोगों की जान गई. इनमें 5.8 प्रतिशत दोपहिया वाहन चालक थे और उनमें से करीब 82 प्रतिशत ने हेलमेट नहीं पहना था.
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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