नई दिल्ली, 21 जून (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने शुक्रवार को पूर्व भारतीय कप्तान बाईचुंग भूटिया के हालिया आरोपों पर कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने भूटिया के बयानों को निराधार और संगठन की छवि को खराब करने वाला बताया है।
गौरतलब है कि बाईचुंग भूटिया ने कलकत्ता स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट्स क्लब में शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कल्याण चौबे पर राजनीतिक लाभ के लिए एआईएफएफ के पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, यह पहली बार है जब एआईएफएफ का कोई अध्यक्ष राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी नेता को पद की पेशकश कर रहा है। इससे न केवल एआईएफएफ के अध्यक्ष पद की गरिमा घटी है, बल्कि इससे उनकी पार्टी की छवि भी खराब हो रही है।
भूटिया ने आगे कहा कि 2022 में हुए एआईएफएफ चुनावों के दौरान जिन लोगों ने चौबे का समर्थन किया था, वे अब पछता रहे हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर आगामी चुनाव निष्पक्ष और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होंगे, तो वे फिर से चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं।
भूटिया ने एआईएफएफ और इसके मार्केटिंग पार्टनर एफएसडीएल (फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड) के बीच मास्टर राइट्स एग्रीमेंट को लेकर हुई बातचीत की आलोचना करते हुए कहा, जो लोग एफएसडीएल से डील करने जा रहे हैं, वे सिर्फ चाय-पिज्जा खाकर वापस आ रहे हैं। उन्हें खुद यह नहीं पता कि उन्होंने प्रस्ताव में क्या रखा।
उन्होंने पूर्व गोलकीपर सुब्रत पॉल को राष्ट्रीय टीम के डायरेक्टर बनाए जाने और कोच मनोलो मार्केज़ के ऊपर निगरानी रखने को भी हास्यास्पद करार दिया।
उन्होंने कहा,“आप एक सफल कोच लाते हैं और फिर एक खिलाड़ी को उस पर निगरानी के लिए बैठा देते हैं, यह उस कोच का अपमान है,”
ओसीआई (विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों) खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने के मुद्दे पर भूटिया ने कहा कि यह विचार नया नहीं है और पहले भी प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह सरकारी नीति पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, कल्याण चौबे पिछले तीन साल में इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर सके और अब अचानक ओसीआई पर बात करने लगे हैं। यह सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश है।
एआईएफएफ अध्यक्ष चौबे का पलटवार
बाईचुंग के आरोपों के बाद एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे ने आधिकारिक बयान जारी कर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जहां हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। एआईएफएफ कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में भूटिया के पास यह मंच मौजूद है कि वे बैठक में अपनी बात रखें, सुझाव दें और रचनात्मक योगदान करें।
चौबे ने कहा, यह देखा गया है कि सितंबर 2022 के चुनाव में हार के बाद से भूटिया लगातार बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं और एआईएफएफ की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। यह न केवल संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फुटबॉल की साख को भी प्रभावित करता है।
उन्होंने आगे कहा, एआईएफएफ हमेशा भूटिया के सुझावों के लिए खुला है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश कार्यकारी समिति बैठकों में उनका ध्यान केवल विरोध करने पर रहा है, न कि ठोस प्रस्ताव देने पर।
भविष्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एआईएफएफ के नए संविधान को लेकर फैसला आने की संभावना है, जिसके बाद महासंघ में नए चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में भारतीय फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी में एक बार फिर सियासी गर्मी देखने को मिल सकती है।
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(Udaipur Kiran) दुबे