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जीएनएलयू ने सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए पहला संक्षिप्त अंतरिक्ष कानून पाठ्यक्रम किया शुरू

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पाठ्यक्रम में अंतरिक्ष तकनीक, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अहम संबंधों पर फोकस

गांधीनगर, 08 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) ने सोमवार को सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए पहले संक्षिप्त अंतरिक्ष कानून पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। यह पहल देश में अंतरिक्ष कानून शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।

संस्था के जन संपर्क विभाग ने यह जानकारी आज अपने बयान में दी। उन्होंने बताया कि उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एयर वाइस मार्शल राजीव रंजन वीएम (सेवानिवृत्त) ने समकालीन युद्ध और अर्थव्यवस्था में अंतरिक्ष की रणनीतिक भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष अब अंतिम सीमा नहीं रहा – यह आज का मोर्चा है। हमें ‘तटीय पर्यवेक्षकों’ से आगे बढ़कर ‘अंतरिक्ष योद्धाओं’ के रूप में सोचना होगा, क्योंकि जो अंतरिक्ष पर नियंत्रण करेगा, वही पृथ्वी और 21वीं सदी पर नियंत्रण करेगा।” उन्होंने आगे कहा, “भारत का तकनीकी शक्ति के रूप में उदय, अंतरिक्ष आधारित अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर निर्भर करेगा।”

सैन्य दृष्टिकोण से अंतरिक्ष तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए एयर वाइस मार्शल रंजन ने कहा, “वैश्विक सैन्य संचार का 80% हिस्सा उपग्रहों के माध्यम से होता है और 95 फीसद सटीक-निर्देशित हथियार जीपीएस पर आधारित हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष “21वीं सदी में राष्ट्रीय शक्ति, आर्थिक स्थिरता और सैन्य श्रेष्ठता की रीढ़ है।”

उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण के आर्थिक आयामों पर भी प्रकाश डाला और अनुमान व्यक्त किया कि “साल 2040 तक ट्रिलियन-डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था एक आर्थिक क्रांति लाएगी, जिसमें दुर्लभ खनिजों के लिए क्षुद्रग्रह खनन, अंतरिक्ष से सौर ऊर्जा का प्रसारण और अंतरिक्ष में विनिर्माण क्षमताएं शामिल होंगी।”

जन संपर्क विभाग ने बताया कि भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के नौ वरिष्ठ अधिकारी इस अग्रणी दो-सप्ताह के पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं। यह कार्यक्रम डिफेंस स्पेस एजेंसी के अनुरोध पर विकसित किया गया है, ताकि सैन्य अभियानों और राष्ट्रीय सुरक्षा में अंतरिक्ष के बढ़ते महत्व को संबोधित किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस व्यापक पाठ्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष संबंधी संधियां, आउटर स्पेस ट्रीटी, अंतरिक्ष दायित्व ढांचा, अंतरिक्ष का सैन्यीकरण और हथियारीकरण, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष गतिविधियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतरिक्ष खनन जैसे अहम विषय शामिल हैं।

पाठ्यक्रम में गहन विचार-विमर्श, केस स्टडी और समृद्ध गतिविधियों को शामिल किया गया है, जिनमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर का विशेष शैक्षिक दौरा भी होगा। यह अनूठा मंच सशस्त्र बलों के अधिकारियों को अंतरिक्ष कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय विनियमन के जटिल अंतर्संबंधों को समझने का अवसर देगा।

यह पाठ्यक्रम गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वी.एस. मणि सेंटर फॉर एयर एंड स्पेस लॉ के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। यह पहल भारत की सैन्य नेतृत्व को अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरती चुनौतियों और अवसरों के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि देश एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है।

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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad

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