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मंडी के पंचवक्त्र मंदिर तक पहंचा ब्यास का पानी

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मंडी, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । मंडी शहर के ब्यास और सुकती संगम पर स्थित ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर तक आखिर ब्यास का पानी पहुंच ही गया। लेकिन इस बार ब्यास नदी ने केवल पंचवक्त्र मंदिर की परिक्रमा कर वापस पीछे हट गई। जिससे मंदिर को किसी भी तरह की क्षति नहीं पहुंची है। यह वही ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर है जो वर्ष 2023 की भीषण बाढ़ में ब्यास के पानी में आधा डूब जाने के बावजूद भी अडिग खड़ा रहा और अंतराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हो गया था। यही नहीं उस दौरान केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं द्वारा आपदा प्रबंधन का निरीक्षण केलिए पंचवक्त्र मंदिर को आपदा डेस्टिनेशन के रूप में उपयोग किया जाने लगा था।

मंडी का यह ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर मंडी रियासत के राजा सिद्ध सेन जिनका शासनकाल 1684-1727ई. के बीच रहा है। राजा सिद्धसेन सबसे बलिष्ठ, धार्मिक प्रवृति के होने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र में भी सिद्धहस्त थे। पंचवक्त्र का यह मंदिर भी उनके द्वारा तांत्रिक सिद्धियों के लिए ही बनवाया गया था। यह मंदिर अपनी बनावट के लिए भी अनूठा है। आमतौर पर मंदिरों के मुख्यद्वार पूर्व एवं दक्षिण दिशा की ओर होते हैं। लेकिन मंडी का यह पंचवक्त्र मंदिर जिसका मुख्यद्वारा उतर-पश्चिम दिशा की ओर है। सिद्धसेन ने अपने जीवनकाल में चौदह मंदिर बनवाए जिनमें पंचवक्त्र के अलावा सिद्धगणपति, सिद्धकाली, सिद्ध भद्रा, बटक भैरो, सिद्ध जालपा और सिद्ध शंभू आदि प्रमुख हैं। वर्ष 2023 की बाढ़ में यह मंदिर इस लिए भी अडिग रहा, क्योंकि इसका मुख्यद्वार पूर्व दिशा की ओर नहीं था, जिससे पूर्व दिशा से बहकर आने वाली ब्यास नदी का पानी इसमें सीधे नहीं घुस पाया। पानी के वेग को मंदिर की दीवारों ने थाम लिया और पीछे से पानी धीरे-धीरे इसके गर्भगृह में घुसा और फिर नदी का पानी उतर जाने के साथ ही बाहर निकल गया। लेकिन इस बार केवल ब्यास नदी के पानी ने मंदिर की दीवारों को स्पर्श किया और वापस उतर गया।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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