आगरा के लडमडा गांव में एक दिल दहलाने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। एक पिता, जिसे अपने बेटे की रक्षा करनी चाहिए थी, वह अपनी बहू के प्रति एकतरफा प्रेम में इस कदर अंधा हो गया कि उसने अपने ही बेटे की हत्या कर दी। यह कहानी न केवल पारिवारिक रिश्तों की जटिलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अनियंत्रित भावनाएँ कितनी खतरनाक हो सकती हैं। आइए, इस घटना के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं।
होली के रंग में रंगा खूनयह घटना होली के पवित्र त्योहार के दिन घटी, जब रंगों और खुशियों का माहौल हर घर में था। पुष्पेंद्र सिंह, जो अपनी पत्नी के साथ मथुरा में रहता था, होली मनाने के लिए अपने पैतृक गांव लडमडा आया था। लेकिन इस बार रंगों की जगह खून बिखर गया। पुष्पेंद्र के पिता, चरण सिंह, अपनी बहू के प्रति असामान्य आकर्षण रखते थे। जब पुष्पेंद्र को इस बात का पता चला, तो उसने इसका विरोध किया। इस विरोध ने पिता-पुत्र के बीच तनाव को जन्म दिया, जो अंततः एक भयावह हत्याकांड में बदल गया।
एकतरफा प्रेम का घातक परिणामचरण सिंह का अपनी बहू के प्रति एकतरफा प्रेम कोई नई बात नहीं थी। पुष्पेंद्र की शादी के बाद से ही चरण सिंह का व्यवहार बदल गया था। जब पुष्पेंद्र ने अपने पिता के इस अनुचित व्यवहार का विरोध किया, तो उसने अपनी पत्नी के साथ आगरा छोड़कर मथुरा में रहना शुरू कर दिया। लेकिन होली के दिन, जब वह अपने परिवार के साथ समय बिताने लौटा, पुरानी आग फिर भड़क उठी। चरण सिंह ने एक बार फिर अपनी बहू के साथ अभद्र व्यवहार किया, जिसके बाद पिता और पुत्र के बीच तीखी नोकझोंक हुई। गुस्से में आकर चरण सिंह ने अपने बेटे पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया, जिससे पुष्पेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस को गुमराह करने की साजिशचरण सिंह ने अपने अपराध को छिपाने के लिए एक चालाकी भरा षड्यंत्र रचा। उसने पुष्पेंद्र के सीने में एक कारतूस डालकर यह जताने की कोशिश की कि उसने आत्महत्या की है। पुलिस को शुरू में यह एक आत्महत्या का मामला लगा, लेकिन उनकी गहन जांच ने इस झूठ को उजागर कर दिया। चार महीने की कड़ी मेहनत, फोरेंसिक साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर पुलिस ने सच्चाई का पता लगाया। एसीपी मयंक तिवारी ने बताया कि इस मामले में चरण सिंह ने अपने बेटे की हत्या की और फिर इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की।
न्याय की जीतलंबी जांच के बाद, पुलिस ने चरण सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह मामला न केवल एक पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि रिश्तों में विश्वास और सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। इस घटना ने आगरा के लडमडा गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया। यह हमें यह भी सिखाता है कि अनियंत्रित भावनाएँ और गलत इरादे कितने विनाशकारी हो सकते हैं।
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