पानी हमारे जीवन का आधार है। यह न केवल हमें जीवित रखता है, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ पानी पीना ही काफी नहीं, बल्कि उसे सही समय और सही तरीके से पीना आपकी सेहत को दोगुना लाभ पहुंचा सकता है? आयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, पानी पीने के कुछ ऐसे रहस्य बताता है, जिन्हें अपनाकर आप 60 की उम्र में भी फिट और हेल्दी रह सकते हैं। आइए, जानते हैं कि कैसे छोटी-छोटी आदतें आपके स्वास्थ्य को बदल सकती हैं।
पानी पीने का सही समयआयुर्वेद के अनुसार, पानी पीने का सबसे अच्छा समय सुबह खाली पेट है। इसे Ushapan के नाम से जाना जाता है। सुबह उठकर एक या दो गिलास गुनगुना पानी पीने से पाचन तंत्र सक्रिय होता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ (Toxins) बाहर निकलते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गुनगुने पानी में नींबू या शहद मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जो वजन नियंत्रण में भी मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे, पानी को कभी भी जल्दबाजी में नहीं पीना चाहिए। धीरे-धीरे और छोटे घूंट लेकर पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है।
सही मात्रा और तरीकाक्या आप जानते हैं कि पानी की मात्रा भी आपकी उम्र, वजन और जीवनशैली पर निर्भर करती है? आयुर्वेद के अनुसार, एक औसत वयस्क को दिन में 2.5 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। हालांकि, इसे एक बार में नहीं, बल्कि पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा करके पीना चाहिए। Dr. Vasant Lad, एक प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ, सलाह देते हैं कि पानी को हमेशा बैठकर और छोटे घूंटों में पीना चाहिए। इससे शरीर इसे बेहतर तरीके से अवशोषित करता है। इसके अलावा, भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से बचें, क्योंकि यह पाचन प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। भोजन के 30-40 मिनट बाद पानी पीना सबसे अच्छा होता है।
पानी की शुद्धता का ध्यान रखेंआयुर्वेद में पानी की शुद्धता पर विशेष जोर दिया गया है। World Health Organization (WHO) के अनुसार, दूषित पानी कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए, हमेशा शुद्ध और उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में तांबे के बर्तन में रातभर रखा हुआ पानी पीने की सलाह दी जाती है, क्योंकि तांबा (Copper) पानी को एंटी-बैक्टीरियल गुण देता है। यह न केवल पाचन को बेहतर बनाता है, बल्कि त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है।
गलतियां जो करें सेहत को नुकसानकई लोग ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, अत्यधिक ठंडा पानी पाचन तंत्र को कमजोर कर सकता है। Dr. Deepak Chopra, एक विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ, बताते हैं कि ठंडा पानी अग्नि (पाचन शक्ति) को कम करता है, जिससे अपच और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक की बोतलों में लंबे समय तक रखा पानी पीने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद हानिकारक रसायन (BPA) शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पानी से जुड़े आयुर्वेदिक नुस्खेआयुर्वेद में पानी को और गुणकारी बनाने के लिए कुछ खास नुस्खे भी बताए गए हैं। उदाहरण के लिए, पानी में तुलसी के पत्ते, सौंफ, या जीरा डालकर उबालने से यह औषधीय गुणों से भरपूर हो जाता है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि पाचन, त्वचा और इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है।
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