आजकल कई माता-पिता ये देखकर परेशान हैं कि उनकी छोटी-छोटी बच्चियों को बहुत कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो रहे हैं। पहले जहाँ 12 से 14 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होना आम बात थी, वहीं अब 5-6 साल की बच्चियों में भी ये प्रक्रिया शुरू हो रही है। इस बदलाव ने माता-पिता और डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुगंधा शर्मा बताती हैं कि इसके पीछे हमारी बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतें मुख्य कारण हैं। आइए, जानते हैं कि आखिर कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने की वजह क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
खानपान में छुपा है बड़ा खतराडॉ. सुगंधा शर्मा के अनुसार, आजकल बच्चों के खाने में मसाले, मिर्च और तेल का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। तीखा और ऑयली खाना बच्चों के शरीर में हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ देता है। इसके अलावा, बाजार में मिलने वाले पैक्ड फूड और प्रिजर्वेटिव युक्त खाने में मौजूद केमिकल्स भी बच्चों के शरीर पर बुरा असर डालते हैं। ये केमिकल्स शरीर की सामान्य विकास प्रक्रिया को बदल देते हैं, जिसके चलते बच्चियों में कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को ऐसा खाना देने से बचें और ताजा, घर का बना खाना खिलाएँ।
डेयरी प्रोडक्ट्स से भी बढ़ रहा जोखिमदूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स अगर शुद्ध और प्राकृतिक हों, तो ये शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन डॉ. शर्मा बताती हैं कि आजकल डेयरी फार्मों में गाय-भैंसों को दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। इन हार्मोन्स का असर दूध में भी रहता है, जो बच्चों के शरीर में पहुँचकर उनकी प्यूबर्टी को समय से पहले शुरू कर देता है। इससे बच्चियों में कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो सकते हैं। अगर आप घर में पाली गई गाय या भैंस का शुद्ध दूध इस्तेमाल करते हैं, तो ये बच्चों की सेहत के लिए बेहतर है।
नॉनवेज और अंडों का असरबाजार में मिलने वाला नॉनवेज और अंडे भी अब पूरी तरह प्राकृतिक नहीं रहे। पशुओं को ताजा रखने और बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें हाई डोज एंटीबायोटिक्स और कभी-कभी हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। डॉ. सुगंधा शर्मा कहती हैं कि इनका सीधा असर बच्चों के शरीर पर पड़ता है। ये हार्मोन्स बच्चों में हार्मोनल बदलाव को तेज कर देते हैं, जिसके चलते 5-6 साल की उम्र में ही बच्चियों को पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। यह बच्चों के सामान्य विकास के लिए ठीक नहीं है और इससे लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
इस समस्या से कैसे बचें?डॉ. शर्मा का मानना है कि हमारी आधुनिक जीवनशैली और खानपान की गलत आदतें बच्चों में समय से पहले शारीरिक बदलाव ला रही हैं। मसालेदार खाना, पैक्ड फूड, प्रोसेस्ड डेयरी प्रोडक्ट्स और नॉनवेज जैसे खाद्य पदार्थ बच्चों के शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचा रहे हैं। इस समस्या से बचने का सबसे आसान तरीका है बच्चों को प्राकृतिक और घर का बना खाना देना। ताजा फल, सब्जियाँ और शुद्ध दूध बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के खानपान पर खास ध्यान दें और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएँ।
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